Monday 5 November 2012 0 comments

कुछ शब्द


क्या नाम दू मैं इस रिश्ते को ,
काफी सोचा मैंने काफी समझा भी ...
लगता है  कोई अनजानी सी डोर है ,
कुछ दुरी है तो कुछ मज़बूरी भी ....

ख्याल भी झहन मे  रहता है ,
ख़ुशी भी देता है तो कभी गम भी,....
कुछ खास होने का एहसास भी होता है ,
तो कभी दुरी का एहसास भी....

क्या सुनाऊ मैं अब इससे जय्दा ,
अभी काफी कुछ कहना है  तो सुनना भी ...
 मेरे शब्द कम है और ये रात लम्बी ...
 सच कहू कुछ शब्द कहे है तो कुछ अनकहे भी....





 
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