वक़्त कभी क़हा किसी का हुआ है ...
दूरियों का सिर्फ एहसास ही तो हुआ है |
तम्मना तो बहुत है अभी दिल मे....
अभी तो हरकतों का समंदर खुद मे समाया हुआ सा है |
लिखने को तो बहुत कुछ है मेरे शब्दों मे .....
पर क्या करे हर शब्द आपका फ़रमाया हुआ है |
आज हवाओ मे भी है कुछ ठंडक सी....
आपका एहसास गर्माहट बनकर हम पर छाया हुआ सा है |
आज चाँद भी कुछ बेरुखा सा है .....
बदल की चादर मे खुद को छुपाया हुआ सा है |
ना जाने क्या हुआ है उसको पागल को .....
लगता है किसी को देख कर शर्माया हुआ सा है |
ना जाने आज फ़ज़ा क्यों बदली बदली सी लग रही है ....
फूल पत्ती खिली खिली से है लगता है इनको किसी ने छुआ सा है |
पर कुछ तो हुआ सा है .....
2 comments:
प्यार में डूबी हुई एक कविता ....शब्दों नें भी भावनाओं का पूरा साथ दिया है...सुन्दर अभिव्यक्ति ....बहुत बहुत बधाई राजेश
thks you so much divya ji ...
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