Monday 15 October 2012

कुछ तो हुआ सा है ....


वक़्त कभी क़हा  किसी का  हुआ है ...
दूरियों का सिर्फ एहसास ही तो हुआ है |
 तम्मना तो बहुत है अभी  दिल मे....
 अभी तो हरकतों का समंदर खुद मे समाया  हुआ सा है |

 लिखने को तो बहुत कुछ  है मेरे शब्दों मे .....
 पर क्या करे हर शब्द आपका फ़रमाया हुआ है |
 आज हवाओ मे भी है कुछ ठंडक सी....
आपका एहसास गर्माहट बनकर हम  पर छाया हुआ सा है |

आज चाँद भी कुछ बेरुखा सा है .....
बदल की चादर मे खुद को छुपाया हुआ सा है | 
 ना जाने क्या हुआ है उसको पागल को .....
लगता है किसी को देख कर शर्माया हुआ सा है |

ना जाने आज फ़ज़ा क्यों बदली बदली सी लग रही है ....
फूल पत्ती खिली खिली से है लगता है इनको किसी ने छुआ सा है |
पर कुछ तो हुआ सा है .....




2 comments:

divya pandey said...

प्यार में डूबी हुई एक कविता ....शब्दों नें भी भावनाओं का पूरा साथ दिया है...सुन्दर अभिव्यक्ति ....बहुत बहुत बधाई राजेश

Rajesh said...

thks you so much divya ji ...

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