Monday 5 November 2012 0 comments

कुछ शब्द


क्या नाम दू मैं इस रिश्ते को ,
काफी सोचा मैंने काफी समझा भी ...
लगता है  कोई अनजानी सी डोर है ,
कुछ दुरी है तो कुछ मज़बूरी भी ....

ख्याल भी झहन मे  रहता है ,
ख़ुशी भी देता है तो कभी गम भी,....
कुछ खास होने का एहसास भी होता है ,
तो कभी दुरी का एहसास भी....

क्या सुनाऊ मैं अब इससे जय्दा ,
अभी काफी कुछ कहना है  तो सुनना भी ...
 मेरे शब्द कम है और ये रात लम्बी ...
 सच कहू कुछ शब्द कहे है तो कुछ अनकहे भी....





Monday 15 October 2012 2 comments

कुछ तो हुआ सा है ....


वक़्त कभी क़हा  किसी का  हुआ है ...
दूरियों का सिर्फ एहसास ही तो हुआ है |
 तम्मना तो बहुत है अभी  दिल मे....
 अभी तो हरकतों का समंदर खुद मे समाया  हुआ सा है |

 लिखने को तो बहुत कुछ  है मेरे शब्दों मे .....
 पर क्या करे हर शब्द आपका फ़रमाया हुआ है |
 आज हवाओ मे भी है कुछ ठंडक सी....
आपका एहसास गर्माहट बनकर हम  पर छाया हुआ सा है |

आज चाँद भी कुछ बेरुखा सा है .....
बदल की चादर मे खुद को छुपाया हुआ सा है | 
 ना जाने क्या हुआ है उसको पागल को .....
लगता है किसी को देख कर शर्माया हुआ सा है |

ना जाने आज फ़ज़ा क्यों बदली बदली सी लग रही है ....
फूल पत्ती खिली खिली से है लगता है इनको किसी ने छुआ सा है |
पर कुछ तो हुआ सा है .....




Friday 12 October 2012 2 comments

अकेले चल पडे है राहो मै ....




अकेले हम हर कदम चल पडे है राहो मै ...ना मंजिल दिखी ना रास्ता दूर गगन की छाव मै ....उम्मीद की कश्ती आस की पतवार ....आशा की किरण हिम्मत की धार ....अकेलेपन का एहसास चुभता है दिल मै ....अकेले खड़े है जैसे अपनों की महफ़िल मै..ना तू ना तेरी परछाई है करीब मेरे लगता है तू ही नहीं नसीब मेरे ...दिल की गहराई से कुछ आज लिख दिया ....शायद ये शब्द ही थे अलफ़ाज़ मेरे ..तेरी मुस्कराहट है या नजरो की हरकत ...इसे अदा कहू या खुदा की बरकत ...कर लू दीदार तेरा बस ये ही है अरमान मेरे ....कितना अकेला हूँ..क्यों नहीं है तू पास मेरे...क्यों नहीं है तू पास मेरे ....
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कुछ पल .....


ज़िन्दगी मै सबको सुकून के पलों की तलाश होती है, जलती धुप मै ठंडी छाँव की आस होती है, दिन बना जाए वो चेहरा देख कर, बस उस पल आने का हर सुबह इंतज़ार रहता है , पता नहीं क्यों बस देख लूँगा वो मुस्कराहट ये विश्वास रहता है ,..... सुन कर वो आवाज़ दिन शुरू करना चाहता हूँ , जो सुन कर सपना देखा करता हूँ, ...पता नहीं क्यों ऐसा होता है की एक अनजान चेहरा अचानक दिल के करीब होता है , शायद इसको ही कहते है की किस्मत वालो का ही तो ऐसा नसीब होता है .... समझ नहीं आता की क्यों यह सब लिखता हूँ उसके लिए मैं , सब समझती है वो भी , सब समझते है हम भी , फिर भी कुछ ना कह पाने का एहसास होता है....ख़ाली पन्नो पर लिख दो हमारे लिए कुछ तो हम भी जाने ...शब्द होते सबके पास है , पर शब्द कोई हम जैसा कहे आपकी शान मै तो हम भी जाने.....

Thursday 13 September 2012 0 comments

एक शुरुआत ...........



आज इस ब्लॉग के मध्यम से मैंने ये कोशिश की है के मैं आपने मन के कुछ उन कहे शब्दों को कुछ पंक्तियों मे सजा कर रख पाऊ|
ये ब्लॉग मेरे पहली शुरुआत है आशा करता हू आपको पसंद आयगी |

 
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